मित्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ
मीत सखा तुम हो सब मेरे
अर्पण प्राण करूँ अब मेरे ।।
गीत क़ता तुम हो तब मेरे ।
छंद बने नग़मे जब मेरे ।।
ईश इबादत ये कब मेरे ।
साथ सखा तुम ना इब मेरे ।।
भूल गया सपने रब मेरे ।
छोड़ गए अपने अब मेरे ।।
बोल रहे सबसे लब मेरे ।
छोड़ रहे मुझको सब मेरे ।।
हे प्रभु प्राण तुम्ही तन मेरे ।
अर्जुन सारथ से बन मेरे ।।
थाम जरा मुझको मित्र मेरे ।
दो महका मन को इत्र मेरे ।।
नील कहे सबसे मित्र मेरे ।
हो सबके तुमसे मित्र मेरे ।।
जीतेंद्र “नील”
( इंदौर )