कविता

मित्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ

मीत सखा तुम हो सब मेरे
अर्पण प्राण करूँ अब मेरे ।।

गीत क़ता तुम हो तब मेरे ।
छंद बने नग़मे जब मेरे ।।

ईश इबादत ये कब मेरे ।
साथ सखा तुम ना इब मेरे ।।

भूल गया सपने रब मेरे ।
छोड़ गए अपने अब मेरे ।।

बोल रहे सबसे लब मेरे ।
छोड़ रहे मुझको सब मेरे ।।

हे प्रभु प्राण तुम्ही तन मेरे ।
अर्जुन सारथ से बन मेरे ।।

थाम जरा मुझको मित्र मेरे ।
दो महका मन को इत्र मेरे ।।

नील कहे सबसे मित्र मेरे ।
हो सबके तुमसे मित्र मेरे ।।

जीतेंद्र “नील”
( इंदौर )

जितेन्द्र सिंह कृष्णावत 'नील सिंह'

जीतेन्द्र सिंह कृष्णावत ( नील सिंह ) शिक्षा :- बीएससी व्यवसाय :- ट्रांसपोर्ट रूचि :- पुराने हिंदी गीत एवं गज़ल सुनना पेंटिंग करना, मन के भावो को कविता में लिखना । पता :- जीतेन्द्र सिंह कृष्णावत ( नील सिंह ) 39, सुभाष नगर, देव नारायण भवन इंदौर ( म. प्र. )452003 मोब. न. :- 09575609574