ज्ञान विज्ञान पर…
ज्ञान विज्ञान पर तु कितना भी गुमान कर ।
अपनी तरक्की पर तु कितना भी अभिमान कर ।
पर उसके सामने तेरा वजूद कुछ भी नही ।
सम्हल जा अभी भी वक्त है ,कुदरत के कानून का सम्मान कर ॥
अपनी ताकत पर इतना मत इतरा,उसके वजूद को यूं नजर अंदाज मत कर ।
बहुत सुरीला है, प्रकृति का राग बरबाद करके इसे बे राग मत कर ।
अपने दायरे मे रहकर, जो चाहे करता जा
औकात से बाहर होकर,यूं उन्माद मत कर ॥
दूर तक धूल मे मिले, अपने आलीशान निर्माण को देख ।
पल भर भी सम्हल ना सका, उसकी ताकत के प्रमाण को देख ।
अब भी होश मे आ, प्रकृति से खिलवाड से तौबा कर ।
खुदगर्जी की फितरत को छोड आने वाली नस्लो के जीवन प्राण को देख ॥
सतीश बंसल