कहानी

सही कौन

आज अपनी बेटी संग उसके कालेज मे जाना हुआ मानो बरसों पुराना किस्सा फिर रह – रहकर चलचित्र की तरह दिखने लगा |सब कुछ तो पहले जैसा था वही कालेज की कैनटीन वही छात्रों का शोरगुल वही हँसी के ठहाके और बातों के सिलसिले | हाँ कुछ चेहरे बदल गए थे कुछ इमारत का ढाँचा कैन्टीन के कुर्सी टेबल और उसके संग बदल गया था वक्त भी आज शादी के उन्नीस साल बाद बेटी संग ऐडमिशन के लिए फिर उसी कालेज मे आना हुआ यहां कभी पुरानी सुधा और कमल मिला करते थे वो कैन्टीन यहाँ घँटो बाते किया करते थे |सुधा अपनी बर्तमान ज़िन्दगी में अपने पति और बेटी संग बहुत खुश थी पर जाने आज क्यों वो पुरानी ज़िन्दगी की यादों में खोकर अपने सवाल का जबाव ढूंढ रही थी कि सही कौन था कमल या सुधा वो सुधा जो उन्नीस साल पहले को वक्त को मन के किसी कौने मे दबा अपने सवाल मे उल्झी सी थी |फिर सुधा को वो दिन याद आए जब वो अपने सुनहरे भविष्य के सपने देखती थी पर चाहने से सब कुछ नहीं मिलता |कुछ बाते हम चाहकर भी नकार नहीं सकते हाँ कुछ प्रयास अवशय करते हैं मन को तसल्ली रहती है कि हमने हार नहीं मानी |कमल एक अच्छे परिवार से था अड़चन बस यही थी कि वो कालेज के बाद अभी और आगे पड़कर अच्छी सी नौकरी के लिए प्रयास करने के लिए कम से कम चार पाँच साल तक सोचना नहीं चाहता था |वहीं सुधा के घरवाले कालेज के बाद बस सुधा की शादी करा देना चाहते थे |सुधा के समझाने पर भी वो उसकी भावनाओं को नहीं समझना चाहते थे और इस शर्त पर कमल से उसकी शादी कराना चाहते थे कि वो पहले शादी करले बाद में नौकरी के लिए प्रयास करता रहे | कमल के पिता का अच्छा व्यवसाय था अगर कमल नौकरी ना भी करे तो सुधा और कमल सम्पन्न जीवन जी सकते थे मगर कमल को नौकरी ही करनी थी |
इसी अहम फैसले को लेकर सुधा और कमल कालेज की कैन्टीन में मिले दोनो अपनी – अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने वाले थे | कैन्टीन में बैठकर कमल ने एक लम्बी सांस लेते हुए सुधा से कहा कि मेरा फैसला साफ है कृप्या तुम शादी के लिए मेरे ऊपर दबाब मत डालो मैं चार – पाँच साल से पहले सोच भी नहीं सकता इस बारे में मुझे प्यार के लिए अपना कैरियर तबाह नहीं करना अगर तुम इन्तज़ार कर सकती हो तो मुझे अच्छा लगेगा नहीं तो मैं तुम्हे बाँध के नहीं रख सकता तुम अपने घरवालों की इच्छा से किसी और से शादी कर सकती हो मैं तुमसे कोई सवाल नहीं पूछूंगा |
सोचुंगा तुम एक सपना थी बस कहते हुए कमल उठने ही वाला था कि सुधा ने उसे कुछ देर और रूकने को कहा |मैं भी तुमसेे कुछ कहना चाहती हूँ कमल , मै औरत हूँ ना ! तुम जो चाहोगे करोगे पर मैं तो अपने घरवालो को दुखी नहीं देख सकती ना ही तुम पर कोई दबाब डाल सकती हूँ | लगता है जैसे मेरी ज़िन्दगी मेरे अरमानों पर भी मेरा कोई हक नहीं जो जैसा चाहे अपना फैसला सुना देता है क्या मेरा कोई वजूद नहीं है कमल ? कमल कुछ देर सुधा को यूंही देखता रहा मानो उसे सच्चाई से रूबरू करा रहा हो कि तुम लड़की हो चाहकर भी अपने सारे सपने पूरे नहीं कर सकती |फिर यूंही कितने दिन बीत गए सुधा ने कमल से मिलना छोड़ दिया था और अपने घरवालों की मर्जी़ से शादी करली | वो अपनी छोटी सी दुनिया मे पति रमेश और बेटी के साथ खुश थी जो आज कालेज मे ऐडमिशन कराने आयी थी सुधा अपने अतीत को पीछे छोड़ चुकी थी पर सवाल का जबाब चाहती थी कि ” सही कौन ” था |||
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |