उंगलियों से लटों को घुमाओ ना यूं…
उंगलियों से लटों को घुमाओ ना यूं
तीर कातिल अदा के चलाओ ना यूं।
जाने कितने दिलों मे जगेगी कसक
तुम नजर को हया से झुकाओ ना यूं॥
कुछ तो भीगे से मौसम की मदहोशियां
कुछ तुम्हारी निगाहों ने जादू किया
बिन पिये ही बहकने लगे है कदम
जाम आंखों से मय के पिलाओ ना यूं…
जाने कितने दिलों मे जगेगी कसक
तुम नजर को हया से झुकाओ ना यूं…
रेशमी सा बदन , रेशमी शोखियां
दिल लुभाने लगीं, होठों की तितलियां
रुक जायें कहीं धडकनो का सफर
प्यार का फूल, बन मुस्कुराओ ना यूं…
जाने कितने दिलों मे जगेगी कसक
तुम नजर को हया से झुकाओ ना यूं…
थम गयी है तुम्हे देखने को फिजा, रूप फूलों का तुमको लगा ताकने
चांद की चांदनी मंद पडने लगी, अप्सराऐं लगी स्वर्ग से झांकने
रास्ते ना बदल लें बहारे तमाम, इन नजारो से नजरें मिलाओ ना यूं….
जाने कितने दिलों मे जगेगी कसक
तुम नजर को हया से झुकाओ ना यूं…..
सतीश बंसल