यह ही तेरा ठिकाना
कितना भी झूठ बोलों नही = काम आएगा,
तेरे कर्मो सब हिसाब यही =साथ जाएगा /
माया और ये मोहमे=,भूला है -तू डगर,
कितना बटोर ले धन =,जाएगा इक कफ़न /
दो -चार दिन ये रोकर, = भूलेंगे सब सफ़र,
साल मे कभी-कभी = चढ़ाएँगे ए हार/
जीते रहे तो हार थी=,अब हार तेरी हार /
लूट अरु खसोट कर =, कितना किया इकठ्ठा,
अब काम तेरे आएगा= नव बाँस का फॅट्टा/
द्वार पर नहीं रखेंगे = लाल हैं तेरे/
लेकर चले हैं चार आज=कह- अलविदा ,
रिश्ते ने छोड़ा साथ अब= कह अलविदा/
तेरा यही शहर है =यह ही तेरा ठिकाना,
कितना करो फरेब यारा = यही है तराना /
राजकिशोर मिश्र”राज”