पञ्चचामर छंद …उदास राधिका
उदास राधिका न छेड़ प्रेम तान साँवरे ।
हताश खोजती फिरे मिला न प्रान बाँवरे ।।
बुझा सवेर दीप आसमान चाँदनी झरी ।
छुपा कहाँ बता ज़रा सुना सुराग बाँसुरी ।।
उदास राधिका न छेड़ प्रेम तान साँवरे ।
हताश खोजती फिरे मिला न प्रान बाँवरे ।।
बुझा सवेर दीप आसमान चाँदनी झरी ।
छुपा कहाँ बता ज़रा सुना सुराग बाँसुरी ।।
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वाह वाह ! इसका और विस्तार कीजिए।
वाह आदरणीया गुंजन अग्रवाल जी, साधुवाद महोदया उत्तम अतिव उत्तम
utsaahvrdhan tipni dene hetu dil se aabhar aadarniy …/..
सादर धन्यवाद गुंजन अग्रवाल जी