सपनों को ओढना, पलकों को बिछोना कर दूं…
सपनों को ओढना, पलकों को बिछोना कर दूं।
आ तेरी चाह के दामन को, प्यार से भर दूं॥
जिसको सींचा है तुमने, आंसुओं के मोती से
आ उसी दर्द के सेहरा को मैं, गुलशन कर दूं….
आ तेरी चाह के दामन को, प्यार से भर दूं…
गम के बादल को, हवाओं के हवाले करके।
मुस्कुराहट से भरे, सुर्ख के सवेरे कर दूं…
आ तेरी चाह के दामन को, प्यार से भर दूं…
जुगनुओं से चुराके रोशनी, कतरा कतरा ।
तेरी रातों के इन अंधेरों को रोशन कर दूं..
आ तेरी चाह के दामन को, प्यार से भर दूं…
प्यासे होठों को शबनमी सी, ताजगी दे दूं।
सूनी आँखों को, नजारे हंसी नजर कर दूं…
आ तेरी चाह के दामन को, प्यार से भर दूं…
सतीश बंसल
बहुत खूबसूरत गजल !
प्यारा गज़ल