एक घनाक्षरी
मत जइयो सईयां पड़ू मैं तोरी पंइयां
कभी तुझ संग लड़ाई मैं नहीं करूंगी
करे बलजोरी काहे मरोड़े मोरी बंइयां
मोहे इतना सताओगे तो कैसे सहूंगी
बगियन में झूला पड़े झूल रही सखियाँ
चलो झूलें हम भी मैं न किसी से कहूंगी
जाना है जरूरी यदि सुन लो मोरी बतिया
मैं भी चलूंगी संग अकेले नहीं रहूंगी
— किरण सिंह
बहुत शानदार !
हार्दिक आभार