कविता

फौजी की पत्नी

फौजी की पत्नी हूँ
नहीं इख्तियार मुझे मिलन के गीत गुनगुनाने का
प्रीत के झूले झूलने का
चूड़ी की खनक से सजन की रिझाने का
रुठने का मनाने का
पायल की रुनझुन से घर आँगन चहकाने का
सिन्दूर की लाली पर इतराने का
क्योंकि सीमा पर कौनसी गोली पर
बिखर जाये मेरे जीवन की लड़ी
कब मैं फौजी की पत्नी से शहीद की पत्नी कहलाऊँ
है यही तो बस किस्मत हम फौजी की पत्नी की
हर पल बस थमी सहमी रुकी रुकी सी रहे सासें
ऐसे में क्या भाये कोई साज सिंगार कोई दिन या कोई त्यौहार।।
फौजी की पत्नी हूँ मैं कहते सभी कर गर्व इस बात पर
कौन देखे मेरे मन की पीड़ा
जिस का नसीब सिर्फ और सिर्फ
इंतज़ार इंतज़ार सूने सूने दिन और रातों का।।

मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |

One thought on “फौजी की पत्नी

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता ! उत्तम भाव !

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