गजल
मंजिल को पाने के लिए मुकद्दर चाहिए
जज्बा हो उड़ानों का तो सिकन्दर चाहिए
दिल के मकां में न हो बसेरा तन्हाई का
प्यार महकाने मुमताजी असर चाहिए
ईमान की राह कुचल कर बना व्यापम देश
फिर जगाने बुद्ध – गांधी की लहर चाहिए
काला हुआ दिवस अब कैसे करें उजियारा
जग रोशन करने प्रेम -अमन की नजर चाहिए
मौसमी आग से झुलस रहैं जग -घरोंदे
सन्तुलनी बयार वास्ते बोना शजर चाहिए
आतंकी अत्याचार “मंजु ” बर्बाद करें वतन
गद्दार मिटाने हौंसलों का समन्दर चाहिए ।
— मंजु गुप्ता