घनाक्षरी
करने लड़ाई चलो श्याम संग सखि सुनो
पनघट पर काहे मोहे छेड़ रहे हैं
छलकत जाए गगरी भीगे मोरी चुनरी
तिसपर श्याम गगरी को फोड़ रहे हैं
यशुमति को बोलूंगी मैं आज नहीं छोड़ूंगी
काहे श्याम धरी बंइयां मरोड़ रह हैं
कितना सयाना श्याम झूठ बोले घड़ी घड़ी
देखो मुझको सताई कर जोड़ रहे हैं
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©कॉपीराइट किरण सिंह