सरकारी उदासीनता
कुदरती कहर
किसान की किस्मत को
कब्रिस्तान पहुँची दी
प्रशासनिक पाश्चाताप से
पाट दिये पत्रकार
अखबारों का पन्ना
हाय तौबा मचाते रहे
हर किसान हलक में
हलाहल पीकर
हालात ऐसे हुए कि
हाँथ की लकीर हार गयी और सरकारी हुंकार
हँसा हँसा कर
कृषक को मार गयी
सच्ची अभिव्यक्ति