कविता

गूथ कर एक धागे मे….

गूथ कर एक धागे मे, दिल की दुआ
मेरे भैया मेरा प्यार लाई हूं मैं।
मांगती हूं दुआ, तु सलामत रहे
अपने आशीष उपहार लाई हूं मैं॥

तेज किरणो का चेहरे पे रोशन रहे
तेरे अधरों पे खुशियों की मुस्कान हो।
प्यार यूं ही सलामत रहे उम्रभर
मे तेरी जान और तुम मेरा मान हो॥
इन सितारों से ऊंची तेरी शान हो, भावनाओं के उदगार लाई हूं मै….
मांगती हूं दुआ, तु सलामत रहे
अपने आशीष उपहार लाई हूं मैं…..

तेरे अंगना मे खुशियों की बरसात हो
रात भी हो अगर, चांदनी रात हो।
तेराे दामन सितारों से रोशन रहे, मेरी राखी हमेशा तेरे हाथ हो॥
जिन्दगी भर यूं ही हाथ मे हाथ हो, भाई बहना का अधिकार लाई हूं मैं….
मांगती हूं दुआ, तु सलामत रहे
अपने आशीष उपहार लाई हूं मै…..

मुझको प्राणों से प्यारी है, अनमोल है।
ये कलाई तेरी मेरा अरमान है।
आ लगा के तिलक आरती मे करूं, मेरे भैया तू ही मेरा भगवान है॥
तू मेरा मान है, तु मेरी शान है, डाल धागे मे संसार लाई हूं मैं…
मांगती हूं दुआ, तु सलामत रहे
अपने आशीष उपहार लाई हूं मै…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.