कहानी

घरेलू हिंसा

रीना बहुत ही सुन्दर ,सुशील और एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाली साधारण सी लड़की थी |यूं तो संयुक्त परिवार में रहने के कारण उसने भी अपने घर में छोटे – छोटे झगड़े और ज़िन्दगी के कईं अच्छे बुरे उतार – चढ़ाव देखे थे पर अपने चचेरे भाई बहनों के संग खेलना और प्यार से रहना उसे बहुत अच्छा लगता था |एक दूसरे से निःस्वार्थ प्यार एक दूसरे की फिक्र और एक दूसरे के लिए कैसे जीया जाता है यह उसने संयुक्त परिवार मे रहकर ही सीखा था | कहीं ना कहीं यह कहावत भी उसे अच्छी लगती थी कि एक और एक गयारह होते हैं क्योंकि जब भी घर पर कोई मुसिबत आती थी तो सभी भाई – बहन और बड़े एकजुट होकर मुकाबला करते थे |रीना की शादी भी एक संयुक्त परिवार में हुई ससुर जी शादी के कुछ दिन बाद ही गुज़र गए | देवर की शादी भी कुछ देर बाद हो गई |

शुरू में तो सब ठीक चलता रहा रीना की देवरानी प्रियंका ऱीना को बात बात पर नीचा दिखाने लगी क्योंकि प्रियंका एक अमीर घर की इकलौती बेटी थी |ससुर जी की अचानक मौत के बाद रीना के पति योगेश और देवर ने नया काम संभाला था उनकी फैक्ट्री थी जिसमे दोनो भाई मिलकर काम करते थे |प्रियंका की छोटी – छोटी बातों को रीना नज़रअंदाज़ करती रही | सबके साथ मिलकर रहना तो रीना बखूबी जानती थी | जैसे दिन बीतते गए प्रियंका के नखरे और अपने माईके वालों की अमीरी की धौंस ससुराल वालों पर और रीना पर हॉवी होने लगी अब तो देवर भी योगेश को बात बात पर जबाब देने लगा था और मनमानी करने लगा था सास तो चुप ही रहती थी रीना ने कईं बार सास से कहने की भी कौशिश की प्रियंका के व्यवहार के बारे में मगर रिशतेदारों और दुनियादारी के लिहाज से वो चुपचाप प्रियंका की बदतमिज़ियां बरदाशत करते रहे | रीना भी समझौते करती रही और किसी से शिकायत नहीं की | किसी ने इतनी गंभीरता से इस बात को नहीं लिया सोचा कि आज नहीं तो कल प्रियंका समझ जाएगी |

अब तो रीना के पति और देवर में भी झगड़े बड़ने लगे थे प्रियंका जैसे कहती उसका देवर वैसा ही करता था |योगेश ने बहुत बार समझाने की कौशिश की कि नया काम संभाला है थोड़ा सब्र रखो सब ठीक हो जाएगा | पहले तो घर को लेकर झगड़ा होता था अब पैसों और फैक्ट्री को लेकर भी होने लगा | रीना तो जैसे तैसे झगड़ा बन्द कराती और योगेश को चुप रहने को कह देती कि तमाशा बन जाएगा मौहल्ले मे घर की इजज्त का वास्ता देती | सास भी कोई ठोस कदम नहीं उठाती थी कि बराबर का हिस्सा कर के इस झगड़े को खत्म करे क्योंकि प्रियंका बहुत ही तेज़ और चतुर थी वो रीना को दबाकर और डराकर अपनी बाते मनवाना चाहती थी मगर वहीं रीना इन सब बातों से अंजान थी कि प्रियंका इस हद तक पहुंच जाएगी | एक दिन तो रीना के पैरों तले ज़मीन ही निकल गई जब उसने घर पर पुलिस को देखा | पुलिस सबको थाने लेकर गई रीना बहुत डर गई थी कि यह सब क्या हो रहा है एक भाई अपने भाई पर झूठे इल्ज़ाम लगा सकता है पैसों के लिए |

प्रियंका ने अपने पापा और पति के साथ मिलकर योगेश और रीना पर झूठा केस दायर कप दिया था कि यह प्रियंका को दहेज के लिए परेशान करते हैं और मारते हैं पैसे भी नहीं खर्च करने देते रीना ने जैसे तैसे खुद को संभाला सास भी हैरान थी कि बात इतनी बिगड़ जाएगी उसने सोचा भी नहीं था | झूठी इज्जत बचाने आज घरवालों को पुलिस स्टेशन आना पड़ा | रीना और योगेश तो हौरान और हक्के बक्के रह गए थे कि कैसे चंद पैसे और ज़मीन के लिए अपना भाई ऐसा कर रहा है | झूठे इल्ज़ाम लगाकर प्रियंका रीना और योगेश को कड़ी सज़ा दिलाना चाहती थी मगर सांच को कोई आंच नहीं होती, रीना तो अपने भगवान से इंसाफ मांगने लगी | जाने इंस्पेकटर को भी प्रियंका का केस झूठा लग रहा था उसने ऐसे ही जांचने के लिए गुस्से से कहा- “दोनो भाईयों को अन्दर कर दो और खूब मारो.”

यह सुनते ही प्रियंका और उसके पापा डर गए और समझौता करने को तैयार हो गए वो तो इतना घबरा गए कि केस वापिस लेना चाहते हैं | इंस्पेकटर को तो आगे ही शक हो रहा था उनके केस पर उन्होने तो रीना और योगेश को डांटा कि आपने इस घरेलू हिंसा के लिए शिकायत क्यों नहीं की और कहीं ना कहीं सास को भी अपनी गल्ती का ऐहसास हो रहा था जिसने बात को इतना बिगड़ने दिया था | रीना और योगेश घर आए और सास ने बिना वक्त गवांए वो फैसला किया जो उनको स्थिति को भांपते हुए पहले लेना चाहिए था |||

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

One thought on “घरेलू हिंसा

  • अखिलेश पाण्डेय

    आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी, आशा है आप आगे इससे भी कुछ अच्छा लिखोगी और हम तक पहुचाएंगी

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