कविता

गांधी के चरखे

जाने कितने झूले थे फाँसी पर,
कितनो ने गोली खाई थी
क्यो झूठ बोलते हो साहब,
कि चरखे से आजादी आई थी ||

चरखा हरदम खामोश रहा, और अंत देश को बांट दिया
लाखों हुए बेघर,लाखो मर गए, जब गाँधी ने बंदर बाँट किया

जिन्ना के हिस्से पाक गया , नेहरू को हिन्दुस्तान मिला
जो जान लुटा गए भारत पर, उन्हे ढंग का न सम्मान मिला

इन्ही सियासी लोगों ने, शेखर को भी आतंकी बतलाया था
रोया अलफ्रेड पार्क था उस दिन, एक एक पत्ता थर्राया था

जो देश के लिए जिये मरे और फाँसी के फंदे पर झूल गए
हमें कजरे गजरे तो याद रहे, पर अमर पुरोधा हम भूल गए

अखिलेश पाण्डेय

नाम - अखिलेश पाण्डेय, मैं जिला गोपालगंज (बिहार) में स्थित एक छोटे से गांव मलपुरा का निवासी हु , मेरा जन्म (23/04/1993) पच्छिम बंगाल के नार्थ चोबीस परगना जिले के जगतदल में हुआ. मैंने अपनी पढाई वही से पूरी की. मोबाइल नंबर - 8468867248 ईमेल आईडी -akhileshpandey109@gmail.com Maihudeshbhakt@gmail.com Website -http://pandeyjishyari.weebly.com/blog/1