ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल…
अभी सपनो की उडान बाकी है
पाने कई मुकाम बाकी है।
ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल
अभी कई काम बाकी है॥
अभी अभी तो जिन्दगी से मिला हूं मैं
बस चंद कदम ही उसके साथ चला हूं मैं।
अभी तो जी भर के उसे निहारा भी नही है
अभी तो गमों के दौर से निकला हूं मैं॥
अभी तो उनसे होना पहचान बाकी है…
ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल
अभी कई काम बाकी है…..
अभी तो मुफलिसी का, हिसाब चुकाना है
अभी तो नाकामी का, निशान मिटाना है।
हटाने है बेवफाई के दाग अपने दामन से
अभी तो मुझे, खोया सम्मान पाना है॥
चुकाने है कई कर्ज, अभी कई सहसान बाकी है…..
ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल
अभी कई काम बाकी है…..
अभी तो रूठों को, मानाने का दौर है
अभी तो दिल मे, अकेलेपन का शोर है।
अभी तो मुझे मेरे अपनों की तलाश है
अभी तो धडकनों में बैचेनी का ठौर है॥
अभी तो चाहतें तमाम बाकी है…..
ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल
अभी कई काम बाकी है…..
सतीश बंसल