कविता

ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल…

अभी सपनो की उडान बाकी है
पाने कई मुकाम बाकी है।
ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल
अभी कई काम बाकी है॥

अभी अभी तो जिन्दगी से मिला हूं मैं
बस चंद कदम ही उसके साथ चला हूं मैं।
अभी तो जी भर के उसे निहारा भी नही है
अभी तो गमों के दौर से निकला हूं मैं॥
अभी तो उनसे होना पहचान बाकी है…
ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल
अभी कई काम बाकी है…..

अभी तो मुफलिसी का, हिसाब चुकाना है
अभी तो नाकामी का, निशान मिटाना है।
हटाने है बेवफाई के दाग अपने दामन से
अभी तो मुझे, खोया सम्मान पाना है॥
चुकाने है कई कर्ज, अभी कई सहसान बाकी है…..
ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल
अभी कई काम बाकी है…..

अभी तो रूठों को, मानाने का दौर है
अभी तो दिल मे, अकेलेपन का शोर है।
अभी तो मुझे मेरे अपनों की तलाश है
अभी तो धडकनों में बैचेनी का ठौर है॥
अभी तो चाहतें तमाम बाकी है…..
ऐ शाम! थोडा आहिस्ता ढल
अभी कई काम बाकी है…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.