देशपाल (लघुकथा)
अगले दिन देशपाल को पुलिस पकड़ कर ले गई । वी. आई. पी. कालोनी का एक भी व्यक्ति यह समझने में सक्षम नहीं था, कि एस.पी. साहब के चौकीदार को पुलिस ने क्यों पकड़ा ? सुबह अखबार की खबर ने देशपाल को करोड़ों की चोरी का आरोपी सिद्ध कर दिया । देशपाल के बूढ़े माँ-बाप और अनपढ़ बीवी महीनों एस.पी. साहब के फाटक पर सिर पटकते रहे, गुहार लगाते रहे, फिर भी कुछ न हुआ ।
एक जनहित याचिका को सुनकर कोर्ट ने मामले की जाँच हेतु ‘ विशेष दल’ की नियुक्ति कर दी । अन्तिम जाँच के बाद न्यायालय द्वारा देशपाल का बयान सार्वजनिक किया गया – “मंत्री जी का बेटा रेप-केस में आरोपी था, और मंत्री जी का नाम ‘रेलवे घोटाला’ में छापने वाले पत्रकार की हत्या, दोनों मामलों की जाँच एस.पी. साहब के हाथों में थी । उस दिन फोन पर एस.पी. साहब कह रहे थे – ‘आपने दौलत-शोहरत सब दिया है, तो आपका नाम कहीं भी नहीं आ सकता । रेप-केस और घोटाला सब हवा हो जाएगा ।’ बस मैंने इतना ही सुना था ।”
. . . . . राम दीक्षित ‘आभास’