हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है
नफरत की आंधी का, ये कैसा दौर चला
हर शख्स की खुद से भी,लगती अनबन सी है…
रुपया जब से जग का, भगवान हो गया है।
नेकी और मर्यादा, हो गयी दफन सी है…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…
हर और कुहासा है, हर और अंधेरे हैं।
बस्ती मे जिधर देखो, खुशियां भी गम सी हैं….
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…
सब देख के हैंरां हैं, ये कैसा आलम है।
सब बात तो करते हैं, बाते बेमन सी हैं…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…
कहीं खून के छींटे है, कही चीखें दर्द भरी।
आंखों मे आंसू हैं, और वफा दफन सी है…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…
कोई ना देख सके, जिसका गणमान नहीं
आदम तेरी नीयत, अब काले धन सी है…
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…
भगवान के दर को भी, नापाक बना डाला।
इंसानों की फितरत, कुछ वहशीपन सी है..
हर दिल में तूफां है, सीने में जलन सी है…
सतीश बंसल