पाप बढने लगा सांवरे….
पाप बढने लगा सांवरे, फिर धरा पर चले आईये।
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये॥
जमुना का नीर रोने लगा, आंखे मधुबन भिगोने लगा।
आग है आग चारों तरफ, प्रेम वर्षा करा जाईये…….
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये……
अत्याचारों से बेबस हुई, गईया तुमको बुलाती है, श्याम।
कोई रक्षक नही है, मेरा प्राण आकर बचा जाईये…..
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये….
ले सहारा तेरे नाम का, कंस भगवान बन बैठे है।
भक्त मायूस होने लगे, आके धीरज बंधा जाईये…..
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये…..
रो रही हैं धरा दर्द से, बढ रही रोज बैचेनियां।
अत्याचारों के संताप से, नाथ मुक्ति दिला जाईए…..
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये….
श्याम आ जाईये, श्याम आ जाईये…
चक्र धारो प्रभु
पाप हारो प्रभु
भक्तों को संकटों से उबारो प्रभु
धर्म संकट में, है अब पधारो प्रभु
अब पधारो प्रभु ,अब पधारो प्रभु……
आस टूटी है, धीरज बंधा जाईये….
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईय…..
सतीश बंसल