गीत/नवगीत

पाप बढने लगा सांवरे….

पाप बढने लगा सांवरे, फिर धरा पर चले आईये।
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये॥

जमुना का नीर रोने लगा, आंखे मधुबन भिगोने लगा।
आग है आग चारों तरफ, प्रेम वर्षा करा जाईये…….
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये……

अत्याचारों से बेबस हुई, गईया तुमको बुलाती है, श्याम।
कोई रक्षक नही है, मेरा प्राण आकर बचा जाईये…..
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये….

ले सहारा तेरे नाम का, कंस भगवान बन बैठे है।
भक्त मायूस होने लगे, आके धीरज बंधा जाईये…..
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये…..

रो रही हैं धरा दर्द से, बढ रही रोज बैचेनियां।
अत्याचारों के संताप से, नाथ मुक्ति दिला जाईए…..
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईये….

श्याम आ जाईये, श्याम आ जाईये…
चक्र धारो प्रभु
पाप हारो प्रभु
भक्तों को संकटों से उबारो प्रभु
धर्म संकट में, है अब पधारो प्रभु
अब पधारो प्रभु ,अब पधारो प्रभु……
आस टूटी है, धीरज बंधा जाईये….
धर्म अकुला रहा मर्म से, कर्म ज्योति जला जाईय…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.