कविता

यादों का तकिया

बचपन में जब

कोई खिलौना टूटा

जब कोई मनचाही

फ्रॉक या गुड़िया नहीं मिली

सखी सहेली से नोक झोँक

माँ की डांट डपट

बड़े होते होते

दर्द भी बड़े हो गए

लोगों के तीखे तेवर

रोक टोक की आनाकानी

शादी का ज़ोर आठों पहर

देखना दिखाना सजावट

के सामान की तरह

मन की आत्मिक पीड़ा

ख़ामोशी से बहते आंसू

फिर शादी

नया घर नया परिवार

अपनों से दूर

नए रिश्तों की जिम्मेदारी

एक दिन फिर माँ बनने का सुख

हर्ष दर्द आंसू का

बेमोल संगम

कितना कुछ सहा है इस

‘यादों के तकिये’

ने कितने दिन कितनी रातें

खामोश सोखे हैं आंसू

और सहा है हर दर्द हमारा।।

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |