गीतिका/ग़ज़ल

भारती हिन्दी हमारी

भव्य भारत के फ़लक की, चाँदनी हिन्दी हमारी।

कर रही रोशन भुवन को, भारती हिन्दी हमारी।

 

लय सुरों के साथ बचपन में सिखाए जिसने आखर

आज तक वो इस हृदय में है बसी हिन्दी हमारी।

 

मातृ-भू की अस्मिता पर, शत्रु जब हावी हुए थे,

साथ थी हर जंग में यह, लाड़ली हिन्दी हमारी।

 

बंद मुख इसका किया करते थे जो अब सिर झुकाते।

हर सभा में हो मुखर जब बोलती हिन्दी हमारी।

 

मान देती जो इसे, देशी-विदेशी कोई भाषा

मानती सम्मान से उसको सखी हिन्दी हमारी।

 

विश्व में गहराइयों तक जम चुकी इसकी जड़ें हैं

छाँव जग को दे रही, वट वृक्ष सी हिन्दी हमारी।

 

गीत, गज़लें, छंद, कविताएँ इसी से हैं अलंकृत,

प्राण भरती हर विधा में सुरसई हिन्दी हमारी।

 

कैद जिनने था किया इसको वे अब मायूस से हैं

तोड़ पिंजड़ा उड़ रही, नभ में परी हिन्दी हमारी।

 

यह नहीं चेरी किसी की, राज सदियों तक करेगी

‘कल्पना’ रानी सदा है, सुंदरी हिन्दी हमारी।

 

-कल्पना रामानी

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]

4 thoughts on “भारती हिन्दी हमारी

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर गजल ! जय हिंदी, जय हिंद !!

    • कल्पना रामानी

      बहुत धन्यवाद आदरणीय सिंघल जी

  • वैभव दुबे "विशेष"

    जय हिंदी जय हिदुस्तान
    सार्थक रचना आदरणीया

    • कल्पना रामानी

      बहुत धन्यवाद “विशेष” जी

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