प्रिय प्रेमिका!
प्रिय प्रेमिका! अब ना मिलन होगा,
जब तक देश न उठे, ये भाव दफ़न होगा,
चाहता हूं तू भी शामिल हो इस दावानल में,
लगेगा जब जंगल में, सिर पर कफ़न होगा..
बहुत भाग लिए अब जाग लगी है,
शयन नहीं है शेष, केवल जागरण होगा..
प्रिय प्रेमिका! अब ना मिलन होगा…!!
जन मानस की दुखद व्यंजना, कराह उठी,
अब यह अनशन आमरण होगा…
प्रिय प्रेमिका! अब ना मिलन होगा..!!