कविता

प्रिय प्रेमिका!

प्रिय प्रेमिका! अब ना मिलन होगा,
जब तक देश न उठे, ये भाव दफ़न होगा,
चाहता हूं तू भी शामिल हो इस दावानल में,
लगेगा जब जंगल में, सिर पर कफ़न होगा..
बहुत भाग लिए अब जाग लगी है,
शयन नहीं है शेष, केवल जागरण होगा..
प्रिय प्रेमिका! अब ना मिलन होगा…!!
जन मानस की दुखद व्यंजना, कराह उठी,
अब यह अनशन आमरण होगा…
प्रिय प्रेमिका! अब ना मिलन होगा..!!

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!