लेख : जीवन में मौन का महत्व
जीवन में मौन का बहुत अधिक महत्व है। स्वयं में परिवर्तन लाने का सर्वाधिक सरल उपाय मौन रहना है क्योंकि यह मानव की आंतरिक ऊर्जा की वृद्धि करता है। मनुष्य का मन सदैव बात करता रहता है और मौन हमको स्वयं से साक्षात्कार कराने का सर्वोत्तम साधन है।
किसी भी कार्य में एकाग्रता के लिए मौन का बहुत महत्व है क्योकि यदि किसी कार्य को करते समय हम चुप रहेंगे तो हम अधिक सोच पायेंगे। हमारे मस्तिष्क के सर्वांगीण विकास के लिए मौन रहकर उसको उत्तम विचारों से घेर लेना चाहिए जिसके फलस्वरूप वो और अधिक तीव्रता से कार्य करेगा।
मन की पूर्ण शान्ति मौन पर निर्भर है। हमारे ऋषियों मुनियों ने मौन रहकर साधना द्वारा ईश्वरीय शक्ति प्राप्त की।ईश्वर से मिलन का सरल उपाय है मौन। मनुष्य स्वयं को आत्मा के साथ आत्मसात कर खुद को जानने में समर्थ हो सकता है।
मौन मन में उठती क्रोधाग्नि को शांत करता है, झगड़े से बचाता है और संताप तथा क्लेश से दूर रखता है। एकांत अवस्था मौन रहने में सहायक सिद्ध होती है। प्रेमपूर्ण शब्दों का तथा धड़कनों को जोड़ने का आवाह्न है मौन। प्रेमियों द्वारा आँखों आँखों में बात करने का तरीका सदियों से चला आ रहा है।
कविताओं, विचारों को वृद्धि देता हुआ ह्रदय के शब्दों को लेखनी के माध्यम से कागज़ पर उतारने का साधन मौन है। यद्यपि मौखिक रूप से विचारों का आदान प्रदान हमको सोचने के लिए विषय देता है किन्तु मानव मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को सार्थक रूप देता है मौन।
— नीरजा मेहता