सामाजिक

लेख : जीवन में मौन का महत्व

जीवन में मौन का बहुत अधिक महत्व है। स्वयं में परिवर्तन लाने का सर्वाधिक सरल उपाय मौन रहना है क्योंकि यह मानव की आंतरिक ऊर्जा की वृद्धि करता है। मनुष्य का मन सदैव बात करता रहता है और मौन हमको स्वयं से साक्षात्कार कराने का सर्वोत्तम साधन है।

किसी भी कार्य में एकाग्रता के लिए मौन का बहुत महत्व है क्योकि यदि किसी कार्य को करते समय हम चुप रहेंगे तो हम अधिक सोच पायेंगे। हमारे मस्तिष्क के सर्वांगीण विकास के लिए मौन रहकर उसको उत्तम विचारों से घेर लेना चाहिए जिसके फलस्वरूप वो और अधिक तीव्रता से कार्य करेगा।

मन की पूर्ण शान्ति मौन पर निर्भर है। हमारे ऋषियों मुनियों ने मौन रहकर साधना द्वारा ईश्वरीय शक्ति प्राप्त की।ईश्वर से मिलन का सरल उपाय है मौन। मनुष्य स्वयं को आत्मा के साथ आत्मसात कर खुद को जानने में समर्थ हो सकता है।

मौन मन में उठती क्रोधाग्नि को शांत करता है, झगड़े से बचाता है और संताप तथा क्लेश से दूर रखता है। एकांत अवस्था मौन रहने में सहायक सिद्ध होती है। प्रेमपूर्ण शब्दों का तथा धड़कनों को जोड़ने का आवाह्न है मौन। प्रेमियों द्वारा आँखों आँखों में बात करने का तरीका सदियों से चला आ रहा है।

कविताओं, विचारों को वृद्धि देता हुआ ह्रदय के शब्दों को लेखनी के माध्यम से कागज़ पर उतारने का साधन मौन है। यद्यपि मौखिक रूप से विचारों का आदान प्रदान हमको सोचने के लिए विषय देता है किन्तु मानव मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को सार्थक रूप देता है मौन।

नीरजा मेहता

नीरजा मेहता

नाम-----नीरजा मेहता ( कमलिनी ) जन्मतिथि--- 24 दिसम्बर 1956 वर्तमान/स्थायी पता-- बी-201, सिक्का क्लासिक होम्स जी एच--249, कौशाम्बी गाज़ियाबाद (यू.पी.) पिन--201010 मोबाइल नंबर---9654258770 ई मेल---- [email protected] शिक्षा--- (i)एम.ए. हिंदी साहित्य (ii)एम.ए. संस्कृत साहित्य (iii) बी.एड (iv) एल एल.बी कार्यक्षेत्र-----रिटायर्ड शिक्षिका सम्प्रति-----लेखिका / कवयित्री प्रकाशन विवरण-- प्रकाशित एकल काव्य कृतियाँ-- (1) "मन दर्पण" (2) "नीरजा का आत्ममंथन" (3) "उमंग" (बाल काव्य संग्रह) प्रकाशित 23 साझा काव्य संग्रह---- क़दमों के निशान, सहोदरी सोपान 2, सहोदरी सोपान 3, भावों की हाला, कस्तूरी कंचन, दीपशिखा, शब्द कलश, भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ, भारत के प्रतिभाशाली हिंदी रचनाकार, काव्य अमृत, प्रेम काव्य सागर, शब्द गंगा, शब्द अनुराग, कचंगल में सीपियाँ, सत्यम प्रभात, शब्दों के रंग, पुष्पगंधा, शब्दों का प्याला, कुछ यूँ बोले अहसास, खनक आखर की, कश्ती में चाँद, काव्य गंगा, राष्ट्र भाषा हिन्दी सागर साहित्य पत्रिका। प्रकाशित 2 साझा कहानी संग्रह-- (1) अंतर्मन की खोज (2) सहोदरी कथा पत्र-पत्रिकायें--- देश विदेश के अनेकों पत्र- पत्रिकाओं व ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनायें। (शीघ्र प्रकाशित होने वाली संस्मरण पर आधारित एकल पुस्तक, 5 साझा काव्य संग्रह और 2 साझा कहानी संग्रह।) (3) सम्मान विवरण--- (1) साहित्य क्षेत्र में विभिन्न संस्थाओं /समूहों द्वारा कई बार सम्मानित---- काव्य मंजरी सम्मान, छंदमुक्त पाठशाला समूह द्वारा चार बार सम्मानित, छंदमुक्त अभिव्यक्ति मंच द्वारा पाँच बार सम्मानित, श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, साहित्यकार सम्मान ( दो बार प्राप्त हुआ ), भाषा सहोदरी हिंदी सम्मान (दो बार प्राप्त हुआ), साहित्य गौरव अलंकरण सम्मान, आगमन समूह द्वारा सम्मानित, माँ शारदे उत्कर्ष सम्मान , दीपशिखा सम्मान, शब्द कलश सम्मान, काव्य गौरव सम्मान (दो बार प्राप्त हुआ ), गायत्री साहित्य संस्थान द्वारा सम्मानित, नारी गौरव सम्मान, युग सुरभि सम्मान, शब्द शक्ति सम्मान, अमृत सम्मान, प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान, प्रेम सागर सम्मान, आगमन साहित्य सम्मान, श्रेष्ठ शब्द शिल्पी सम्मान, हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान, हिन्दी सागर सम्मान (संपादक सम्मान ), हिन्दुस्तानी भाषा अकादमी द्वारा सम्मानित। (2) उपाधि---काव्य साहित्य सरताज उपाधि ( ग्वालियर साहित्य कला परिषद {मध्य प्रदेश}द्वारा प्राप्त ) (3) विद्यालय से भी दो बार शिक्षक दिवस पर "बेस्ट टीचर अवार्ड" प्राप्त हुआ है। (1997 और 2008 में