कविता

मैं जीवन का संबल हूं….

मैं जीवन की धारा हूं
गंगा सी शीतल निर्मल हूं।
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं॥

मैं झांसी की रानी हूं
दुर्गा हूं, जीजाबाई हूं।
सदियों से इस जग को
मैं नव राह दिखाती आई हूं॥
मै दुष्टों का काल भी हूं, ममता का प्यारा आंचल हूं…
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं….

ममता की मूरत टेरेजा
इंदिरा और कल्पना मैं हूं।
शाको से जीवन संचय
करने वली शाकुंभरा मैं हूं॥
फूल भी हूं, शोला भी हूं, जीवन भी हूं और जल हूं…
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं….

हाथ मिला भाई का तो
राखी बन प्यार निभाती हूं।
मन का मीत मिला तो मैं
सर्वस अर्पण कर जाती हूं॥
मैं अतीत भी हूं दुनियां का, आज भी हूं, मैं ही कल हूं….
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं….

आंखे खोलो नादानों
किस पर तुम जुल्म ढहाते हो।
जिसने तुमको जन्म दिया है
उसे मिटाना चाहते हो॥
बंद करो ये पाप नही तो, मैं ही काली का बल हूं….
मुझको अबला समझने वालों
मैं जीवन का संबल हूं….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

3 thoughts on “मैं जीवन का संबल हूं….

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    सुंदर सृजन

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर !

    • सतीश बंसल

      बहुत शुक्रिया विजय जी, खुशी जी…

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