गणपति वन्दना
आंग्ल प्रेमी सीखो आंग्ल, पर हिंदी से न विमुख हो
सुनिश्चित करो, दिन का हर कामकाज हिंदी में हो |
अच्छी बात है सीखना हर भाषा, बुरी नहीं कोई भाषा
विदेशी को क्यों महत्त्व ज्यादा, समृद्ध है भारत की भाषा |
हिंदी भाषा न गरीब है, न है किसी गरीब की या धनी की
चाँद-सूरज, हवा, पानी, रश्मि जैसे, यह है हर देशवासी की |
नगर, गाँव, अमीर, गरीब, हिंदी है हरजन की मन की भाषा |
भ्रम है कि, “कद बढ़ता है उसकी जो बोलता है आंग्ल भाषा |”
पढो लिखो बोलो हिंदी विन्दास से, हर वक्त हर जगह् |
तभी मिलेगी विश्व पटल पर, अपनी हिंदी को उचित जगह |
हिंदी दिवस, हिंदी सप्ताह, हिंदी पक्ष, माह पर न समाप्त हो
हिंदी का प्रयोग हर कामकाज में, हर दिन, हर क्षण हो |
— कालीपद ‘प्रसाद’
बढ़िया रचना !
आपका आभार विजय कुमार जी
अति सुंदर रचना
आपका आभार विभारानी जी !