कविता

निशब्द…

जब कभी हारता है भरोसा
जब करता है
कोई अपना वार
निरुत्तर सा
हतोत्साहित मन
महसूस करता है
एक टीस
जो उतरती है
कलेजे की गहराईयों में
और किकर्त्यविमूढ
सा निहारता है
अचानक बदल से गये
परिवेश को
जड हो जाता है मस्तिष्क
शून्य होने लगती चेतना
अचेत तन
हो जाता है अचल
किसी पाषाण की मानिद
एक ही पल में
मिटने लगता हैं
नातों का वजूद
टूटने लगते है
तमाम भ्रम
हटने लगता है कुहासा
और नजर आती है
जिन्दगी की सच्चाई
एक अलग सी दुनियां
जहां ना रिश्ते है
ना प्रीत
बस निशब्द सा भविष्य
और सपनों सा अतीत….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “निशब्द…

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

    • सतीश बंसल

      आपका आभार विजय जी…

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