यूं खिला है तुम्हारा, बदन ऐं हंसीं…
यूं खिला है तुम्हारा, बदन ऐं हंसीं
ताज जूं, चाँदनी मे नहाया हुआ।
वादियां हो गयी हैं, जवां और भी
इनपे तेरी जवानी का, साया हुआ॥
इन हवाओं में हैं कुछ नशे का असर, या कि तेरे बदन की खुमारी है ये।
घुल रही हैं फिजाओं में जादूगरी, या अदाओं की मस्ती तुम्हारी है ये॥
देखकर तेरे जलवों का जलवा सनम, इन बहारो का जलवा सवाया हुआ….
वादियां हो गयी हैं, जवां और भी
इनपे तेरी जवानी का, साया हुआ…..
झुक रहे हैं सितारे तुम्हें देखकर, सजदे करने लगीं ये बहारें तमाम।
तेरे यौवन से हैरान है खुद रती, तुमको पाने को आतुर हुऐ देव काम॥
हर किसी को तेरी चाह की चाह है, रुप तेरा ख्यालों की काया हुआ….
वादियां हो गयी हैं, जवां और भी
इनपे तेरी जवानी का, साया हुआ….
हुस्न के तेज को कुछ सम्हालों जरा, आग से इस जहां को बचा लो जरा।
उठ चला है धुवा ईश्क का हर तरफ, अपने दीवानों पर तर्स खालो जरा॥
कोशिशे खूब की, दिल को रोका बहुत , हर जतन रोक पाने का जाया हुआ…
वादियां हो गयी हैं, जवां और भी
इनपे तेरी जवानी का, साया हुआ…..
सतीश बंसल
बहुत खूब !
आपका आभार विजय जी…