कविता
मधुर भावना ,
भावुक मन की ,
गिरती उठती,
चलती रुकती
प्रीत हृदय में,
कभी न छिपती ।।1।।
अब कुछ कहूं ,
कैसे चुप रहूं,
अन्तर मन का
भेद कैसे कहूं
प्रीत भरी पाती ,
कैसे अब पढ़ूं।।2।।
मेरे जीवन की ,
कम्पित मन की,
धुंधले दर्पण की ,
धूमिल सी छवि ,
टूटती सांस है,
मिलने की आस है ।। 3।।
मीठी सी महक,
पंछी की चहक,
धरती गगन ,
झूमते मगन ,
मेघों की ओट में,
चमकी किरण ।। 4।।
लता यादव
अति सुंदर