उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-22: बेस्ट फ्रैड

रेनुका की नस काटने वाली बात उसके घर वालों को पता चल गयी फिर रेनुका के पापा का फोन आया और बोले रेनुका बेटा तुम ठीक तो हो न मैंने सुना तुमने अपनी नस काट ली है बेटे मैं कल ही आ रहा हूँ तुम्हें लेने तुम कुछ दिन यहां रहोगी तो हमें भी अच्छा लगेगा रेनुका बोली मैं ठीक हूॅ पापा और फिर मेरे दोस्त भी तो हैं यहाँ पर और मैं अचानक ने गिर गयी थी तब मेरे हाथ में चाकू था और मुझे लग गया और फिर मेरे एग्जाम भी तो आ गया हैं तब रेनुका के पापा बोले ठीक है बेटा तुम अपने एग्जाम खत्म करो फिर मैं खुद आऊँगा तुम्हें लेने तब तक अपना ख्याल रखना रेनुका बोली ओके पापा आप चिंता मत करो एंड बाय और फिर फोन रख दिया।

समीर ये बात सुनकर नर्वस हो गया रेनुका बोली यार समीर इतने नर्वस क्यूँ हो गये मैं तुम्हें कभी भी छोड़कर नहीं जाऊंगी तभी समीर ने एक बार फिर रेनुका को गले लगा लिया और फिर रेनुका को उसके हाॅसटल तक छोड़ कर आया और सीधे अपने घर आ गया । समीर ने घर आकर खाना खाया तबतक रात के दस बज चुके थे समीर फिर अपने रूम में चले गया और पढ़ने बैठ गया ।

अब समीर रेनुका के बारे में सोचने लगा उसका पढ़ने में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था समीर ने रेनुका को फोन किया रेनुका ने फोन अटेंड किया तभी समीर बोला अब कैसा लग रहा है रेनुका रेनुका बोली अरे बाबा अभी दो घंटे पहले ही तो तुम मुझे छोड़ कर गये तो अब कैसी हूँगी मै तब समीर बोला अच्छा अभी कर क्या रही हो पढ़ाई कर रहीं हूँ कल से एग्जाम शुरू है और तो तुम्हारी तरह लड़की से बातें नहीं रेनुका समीर को चिढ़ाते हुये बोली तभी समीर बोला ओके करो पढ़ाई और समीर ने फोन रखा।

थोड़ी देर बाद रेनुका का फोन आया समीर ने फोन उठाया और बोला क्या बात है रेनुका । रेनुका बोली कुछ नहीं यार पढ़ने में मन नहीं लग रहा है बस किसी की याद सता रही है वैसे तुम कर क्या रहे हो समीर बोला पढ़ाई कर रहा हूँ तुम्हारी तरह आधी रात को लड़को से बात करने का मुझे कोई शौक नही है रेनुका बोली जान मुझे परेशान मत करो जब तुम ऐसी बातें करते हो तो मेरी जान निकलने लगती है और हाॅ यार एक बात और कल मेरी मम्मी आ रहीं हैं तो प्लीज कल मुझे फोन मत करना समीर बोला ओके ठीक है अब रात बहुत हो गयी है अब सो जाओ रेनुका बोली ओके गुड नाईट समीर ने भी गुड नाईट कहा और फोन रखकर सो गया।

आज संडे है आज समीर का मन नहीं लग रहा था वह तो वस रेनुका के बारे में ही सोच रहा था और उसे काॅल भी नहीं कर सकता था क्योंकि उसने मना किया था।

समीर ने अपना कम्प्यूटर खोला तभी कम्प्यूटर का बझर बजा समीर ने ओपन किया तो स्नेहा की मेल थी उसमें लिखा था समीर क्या हम एक-दूसरे के वेस्ट फ्रैड बन सकते हैं समीर ने रिप्ले किया हाँ क्यूँ नहीं फिर स्नेहा ने पूछा तुम्हारे घर में कौन-कौन है समीर बोला मेरी एक बहन है रीता मल्होत्रा पापा अभिनीत मल्होत्रा तथा मम्मी आराधना मल्होत्रा और मैं समीर मल्होत्रा एंड तुम्हारे घर में कितने लोग है तब स्नेहा बोली मैं और मेरे मम्मी-पापा फिर समीर बोला और मैं स्नेहा ने रिप्ले किया शायद और समीर को बाय बोलकर कम्प्यूटर आॅफ कर दिया अब समीर को इतना तो पता चल गया कि स्नेहा के मन में कुछ है फिलहाल वो दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे ।

दयाल कुशवाह

पता-ज्ञानखेडा, टनकपुर- 262309 जिला-चंपावन, राज्य-उत्तराखंड संपर्क-9084824513 ईमेल आईडी-dndyl.kushwaha@gmail.com