प्यार
प्यार
जो शब्दों में बयां न हो सके
जो कागज में न उतर सके
जो सिर्फ दो दिलों को आन्दोलित कर दे
तीसरे किसी अन्य के लिये न हो रिक्तता
एक ऐसा रिश्ता
जो अनाम है
जो समय न खोजे
ढूढे़ न जाति धर्म सम्प्रदाय उम्र
इन सबसे ऊपर उठकर सोचे जो
वह प्यार है |
— अरुण निषाद
सच्ची अभिव्यक्ति
साभार धन्यवाद मैम.प्रणाम