कवितापद्य साहित्य

चितचोर !

 

तू है तो चितचोर

ब्रह्माण्ड के निपुण चितेरे

दुनियां को रंगा सात रंग से

जानता नहीं कोई

कितने रंग हैं तेरे |

धरती पर कहीं अगाध जल,

कहीं मरुभूमि, जलहीन सिक्तारे

आधार हीन आसमां में तांगा

असंख्य सूर्य चन्द्र तारे |

तू रूप है या अरूप है

सिद्ध योगी न जान पाये,

विज्ञानं भी विस्मित है

तेरा हदीस कोई न पाये |

कपोल कल्पित किस्सों से

भरा पडा है सब ग्रन्थ,

पांडा बताते नई नई पूजाविधि

जिसका नहीं कोई अन्त |

अलग अलग है सबका मत

अलग अलग है सबका राह,

वास्तव में तू क्या है, कहाँ है

कौन बतलायगा हमें राह ?

सही क्या है, गलत क्या है

सोच सोच कर हम हारे,

नामों का कोई अन्त नहीं है

किस नाम से हम तुझे पुकारे ?

गुरुओं की नहीं कमी यहाँ

सब बतलाते हैं तेरे घर की राह,

खुद नहीं कभी चला उस राह पर

खुद के लिए है वह अछूत राह |

तू ही बता क्या करे हम

कैसे निकले इस भूल-भुलैया से,

भटक रहे हैं इस राह पर

न जाने कितने युगों युगों से |

 

कालीपद ‘प्रसाद’

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*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !