गीतिका/ग़ज़ल

बेटियों आगे बढ़ो/गज़ल

बेटियों आगे बढ़ो

 

हक़ से हर अधिकार पाने, बेटियों आगे बढ़ो।

स्वप्न पूरे कर दिखाने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

चाहे मावस रात हो, जुगनू सितारे हों न हों

ज्योत बनकर जगमगाने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

सिर तुम्हारा ना झुके, अन्याय के आगे कभी

न्याय का डंका बजाने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

ज्ञान के विस्तृत फ़लक पर, करके अपने दस्तखत

विश्व में सम्मान पाने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

तुम सबल हो, बाँध लो यह बात अपनी गाँठ में

क्यों सुनो अबला का ताने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

रूढ़ियों की रीढ़ तोड़ो, बेड़ियाँ सब काट कर

दिलजलों के बुत जलाने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

देखना सरकें नहीं वे, सर्प जो तुमको डसें

विषधरों को विष पिलाने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

सीख लो गुर निज सुरक्षा के, सदा रहना सजग

दंभ को दर्पण दिखाने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

गर्भ में ही फिर तुम्हारा, अंश ना हो अस्तमित

“कल्पना” खुद को बचाने, बेटियों आगे बढ़ो।

 

-कल्पना रामानी

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- kalpanasramani@gmail.com

One thought on “बेटियों आगे बढ़ो/गज़ल

  • महातम मिश्र

    बहुत ही प्रेरक रचना आदरणीया सुश्री कल्पना रामानी जी, वाह और वाह

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