ग़ज़ल
जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग
नासमझी में मर जाते हैं हम से सीधे सादे लोग
पूछा बच्चों ने नानी से – हमको ये बतलाओ ना
क्या सचमुच होती थी परियां, होते थे शहज़ादे लोग?
टूटे सपने, बिखरे अरमां, दाग़ ए दिल और ख़ामोशी
कैसे जीते हैं जीवन भर इतना बोझा लादे लोग
अमन, वफ़ा, नेकी, सच्चाई, हमदर्दी की बात करें
इस दुनिया में मिलते है अब, ओढ़े कई लबादे लोग
कट कर रहते-रहते हम पर वहशत तारी हो गई है
ए मेरी तन्हाई जा तू, और कहीं के ला दे लोग
— श्रद्धा जैन
उम्दा रचना