गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग
नासमझी में मर जाते हैं हम से सीधे सादे लोग

पूछा बच्चों ने नानी से – हमको ये बतलाओ ना
क्या सचमुच होती थी परियां, होते थे शहज़ादे लोग?

टूटे सपने, बिखरे अरमां, दाग़ ए दिल और ख़ामोशी
कैसे जीते हैं जीवन भर इतना बोझा लादे लोग

अमन, वफ़ा, नेकी, सच्चाई, हमदर्दी की बात करें
इस दुनिया में मिलते है अब, ओढ़े कई लबादे लोग

कट कर रहते-रहते हम पर वहशत तारी हो गई है
ए मेरी तन्हाई जा तू, और कहीं के ला दे लोग

— श्रद्धा जैन

श्रद्धा जैन

उपनाम -श्रद्धा जन्म स्थान -विदिशा, मध्य प्रदेश, भारत कुछ प्रमुख कृतियाँ विविध कविता कोश सम्मान 2011 सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित कविता कोश टीम मे सचिव के रूप में शामिल आपका मूल नाम शिल्पा जैन है। जीवनी श्रद्धा जैन / परिचय

One thought on “ग़ज़ल

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    उम्दा रचना

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