गीत/नवगीत

पत्थरों के साथ, यूं ना निबाह कर….

पत्थरों के साथ, यूं ना निबाह कर।
तोड कर इनको, नई कुछ राह कर॥

हमनें देखा है, पिघलते पत्थरों को।
दर्द से अपनें, जरा तू आह भर॥

एक वो है एक तू है, और कोई कुछ नही।
थाम लेगा हाथ तेरा, तु उसी की चाह कर॥

रोशनी कायम रहे दिल में, अंधेरों से ना डर।
वो खिवैया है, तु दरिया पार बिन पतवार कर॥

मंजिलों पर रख नजर, तु मील के पत्थर ना गिन।
मंजिलें किसको मिली है, हालातों से हार कर॥

ये जो सच का तेज है, होने ना देगा तेज कम।
बस चला चल, सच के इस सच को हृद्य में धार कर॥

दरिया कि औकात, ना कुछ पर्वतों की है बिसात।
बन के मांझी पत्थरों पर, हौसलों से वार कर॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.