पत्थरों के साथ, यूं ना निबाह कर….
पत्थरों के साथ, यूं ना निबाह कर।
तोड कर इनको, नई कुछ राह कर॥
हमनें देखा है, पिघलते पत्थरों को।
दर्द से अपनें, जरा तू आह भर॥
एक वो है एक तू है, और कोई कुछ नही।
थाम लेगा हाथ तेरा, तु उसी की चाह कर॥
रोशनी कायम रहे दिल में, अंधेरों से ना डर।
वो खिवैया है, तु दरिया पार बिन पतवार कर॥
मंजिलों पर रख नजर, तु मील के पत्थर ना गिन।
मंजिलें किसको मिली है, हालातों से हार कर॥
ये जो सच का तेज है, होने ना देगा तेज कम।
बस चला चल, सच के इस सच को हृद्य में धार कर॥
दरिया कि औकात, ना कुछ पर्वतों की है बिसात।
बन के मांझी पत्थरों पर, हौसलों से वार कर॥
सतीश बंसल