कह-मुकरी
लड़े चुनाव घरे परधानी,
जिले मे देखत रोज दिवानी
हंगामा से हो गये नेता,
हे सखि साजन नहि ये नेता
लूट खसोट अरू भ्रष्टाचार ,
गली-गली फैलाव्यभिचार
नफ़रत फैलाते दिन – रात
हे सखि साजन – नहि बारात
राज किशोर मिश्र ‘राज’
साल-साल मे आए गणेशा,
मान शान दे जाए गणेशा/
दुख हर्ता सुख दायक विघ्नेश्वर
क्या सखि पूजा न विघ्नेश्वर
कवि को लिखते कविता देखा ,
नभ मे उगते सविता देखा,
खग कुल कलरव करे आकाश ,
हे सखिनभ मे – नाहि प्रकाश
खाए पान जीभ भयि लाल ,
सुपारी कत्था का कमाल,
चून पान है अति हितकारी ,
हे सखि पान का न बलिहारी
— राजकिशोर मिश्र ”राज’
राज जी , कह मुकरी सभी कि सभी अच्छी लगीं .
आदरणीय जी आपकी स्नेहिल आत्मीय पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए आभार सादर नमन आपकी पसंद मेरे लिए गौरव की बात है जय माँ शारदे—–
आपकी पसंद मेरे लिए गौरव की बात है