कविता

कह-मुकरी

लड़े चुनाव घरे परधानी,
जिले मे देखत रोज दिवानी
हंगामा से हो गये नेता,
हे सखि साजन नहि ये नेता

लूट खसोट अरू भ्रष्टाचार ,
गली-गली फैलाव्यभिचार
नफ़रत फैलाते दिन – रात
हे सखि साजन – नहि बारात
राज किशोर मिश्र ‘राज’

साल-साल मे आए गणेशा,
मान शान दे जाए गणेशा/
दुख हर्ता सुख दायक विघ्नेश्वर
क्या सखि पूजा न विघ्नेश्वर

कवि को लिखते कविता देखा ,
नभ मे उगते सविता देखा,
खग कुल कलरव करे आकाश ,
हे सखिनभ मे – नाहि प्रकाश

खाए पान जीभ भयि लाल ,
सुपारी कत्था का कमाल,
चून पान है अति हितकारी ,
हे सखि पान का  न बलिहारी

— राजकिशोर मिश्र ”राज’

 

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

3 thoughts on “कह-मुकरी

  • राज जी , कह मुकरी सभी कि सभी अच्छी लगीं .

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय जी आपकी स्नेहिल आत्मीय पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए आभार सादर नमन आपकी पसंद मेरे लिए गौरव की बात है जय माँ शारदे—–

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आपकी पसंद मेरे लिए गौरव की बात है

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