ग़ज़ल
दोस्त तुम भी कमाल करते हो
बेसबब क्यूँ मलाल करते हो
भान ख़ुद चाँद से ज़ुदा कब है
दोस्ती पर सवाल करते हो ?
दौलते-हुस्नो-नूर से शब को
दोस्त तुम मालामाल करते हो
दीद देकर सभी को मुखड़े का
ईद का तुम धमाल करते हो
काम वैसे बुरा नहीं कोई
दोस्त तुम बहरहाल करते हो
नाम रुसवा मेरा भी होता है
जब कभी तुम बवाल करते हो
‘भान’ की पीठ थपथपा करके
यार ख़ुद को विशाल करते हो
मूक गुमनाम दुआओं की तरह
‘भान’ की देख-भाल करते हो
— उदय भान पाण्डेय ‘भान’
बहुत शानदार ग़ज़ल, उदय भान जी !
वाह…उम्दा