गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

 

दोस्त तुम भी कमाल करते हो
बेसबब क्यूँ मलाल करते हो

भान ख़ुद चाँद से ज़ुदा कब है
दोस्ती पर सवाल करते हो ?

दौलते-हुस्नो-नूर से शब को
दोस्त तुम मालामाल करते हो

दीद देकर सभी को मुखड़े का
ईद का तुम धमाल करते हो

काम वैसे बुरा नहीं कोई
दोस्त तुम बहरहाल करते हो

नाम रुसवा मेरा भी होता है
जब कभी तुम बवाल करते हो

‘भान’ की पीठ थपथपा करके
यार ख़ुद को विशाल करते हो

मूक गुमनाम दुआओं की तरह
‘भान’ की देख-भाल करते हो

— उदय भान पाण्डेय ‘भान’

उदय भान पाण्डेय

मुख्य अभियंता (से.नि.) उप्र पावर का० मूल निवासी: जनपद-आज़मगढ़ ,उ०प्र० संप्रति: विरामखण्ड, गोमतीनगर में प्रवास शिक्षा: बी.एस.सी.(इंजि.),१९७०, बीएचयू अभिरुचि:संगीत, गीत-ग़ज़ल लेखन, अनेक साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव

2 thoughts on “ग़ज़ल

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार ग़ज़ल, उदय भान जी !

  • सुधीर मलिक

    वाह…उम्दा

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