~नाकाम साजिश ~~
“तुम अब तक कुछ नहीं की, अब कैसे डिबेट में जाने की बात कर रही हो | नाम डुबो के आओगी स्कूल का । “
“सर मौका मिला ही नहीं ,और न पूछा गया कभी क्लास में । अभी तक वही जा रहें थे जो जाते रहें थे। “
खूब लड़-झगड़ आखिरकार अपनी जगह डिबेट में पक्की कर ली हिमा ने ।
“जाओ मना नहीं करूँगा ,पर कुछ कर नहीं पाओगी । ” टीचर अपनी चहेती के ना जा पाने पर क्रोध से बोले ।
सुनते ही आग बबूला हो उठी हिमा पर चुप्पी साध ली । माँ की बातें याद आ गयी बड़ो की बात यदि बुरी लगे यदि कभी ,तो मुहँ से नहीं अपने काम से जबाब देना ।
बीस दिनों बाद डिबेट में प्रथम आने का अवार्ड पूरे ऑडोटोरियम में प्रिंसिपल से लेते हुये उस टीचर को नजरों से ही ज़बाब दे रही थी हिमा।
टीचर यह कह मुहँ पीट लाल कर रहे थे कि “तुम तो बड़ी प्रतिभाशाली हो, अब तक कहाँ छुपी थी ये तुम्हारी उड़ान । अगली उड़ान के लिय फिर तैयार रहना |” शाबाशी देते हुए बोले || Savita Mishra
बहिन जी,यह कहानी पहले छप चुकी एक कहानी का सारांश लगती है.