उपन्यास अंश

अधूरी कहानी: अध्याय-38: फूलों का गुलदस्ता

समीर तथा रेनुका वाली बात सब लोग भूल चुके थे। एक दिन रेनुका अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने गयी। फिल्म देखते-देखते कब आधी रात हो गयी किसी को पता ही नहीं चला। जब रेनुका अपने दोस्तों के साथ थिएटर से बाहर निकली, तब रात के करीब 1 बज गया था। रेनुका के दोस्त रेनुका को बाॅय बोलकर चले गये। अब रेनुका वहां अकेली रह गयी थी, वहां कोई ऑटो भी नहीं था। अब रेनुका पैदल ही अपने हाॅस्टल की तरफ चलने लगी। रेनुका को डर लग रहा था। रेनुका जिस रोड में जा रही थी उस रोड में आगे तथा पीछे दूर-दूर तक कोई नहीं था। रेनुका सुनसान रोड में चल रही थी, तभी अचानक किसी के चलने की आवाज आयी। रेनुका ने पीछे मुड़कर देखा तो वह समीर था।

ये देखकर रेनुका और डर गयी रेनुका ने सोचा मैंने इसे काॅलेज में चांटा मारा तो कही ये बदला लेने तो नहीं आया कहीं ये मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं करेगा ये सोचकर रेनुका ने अपने कदमों की रफ्तार बड़ा दी समीर भी तेज चलने लगा ये देखकर रेनुका दौड़ने लगी समीर ने भी दौड़ लगा दी और रेनुका को आगे से घेर लिया ।

रेनुका एकदम से बहुत घबरा गई फिर भी वह हिम्मत बटोरकर बोली- ‘समीर क्या बात है तुम मेरा पीछा क्यूँ कर रहे हो तुम उस दिन का बदला लेना चाहते हो? तुम क्या करोगे मेरे साथ? ‘तब समीर बोला- ‘ऐसी बात नहीं है तुम गलत समझ रही हो मुझे उस दिन तुमने मुझे माफ नहीं किया था उस दिन के बाद आज तुम्हें थिएटर में देखा तो मैंने सोचा आज तुमसे माफी मांग ली जाये।’

ये सुनकर रेनुका की जान में जान आयी। समीर ने एक फूलों का गुलदस्ता रेनुका को दिया और बोला अगर तुम ये ले लो तो मैं समझूंगा कि तुमने मुझे माफ कर दिया। तब रेनुका ने वह गुलदस्ता समीर के हाथ से ले लिया और बोली ओके मैंने तुम्हें माफ कर दिया। फिर समीर बोला रेनुका मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं तब रेनुका बोली- हाॅ बोलो। तब समीर बोला- रेनुका मै तुमसे बहुत प्यार करता हूं मैंने तुम्हें जब पहली बार देखा तभी तुमसे प्यार हो गया था रेनुका आई लव यू।

समीर ने रेनुका की तरफ देखा, रेनुका को शायद गुस्सा आ रहा था। तब समीर ने सोचा अब एक और चांटा पड़ने वाला है। समीर ने अपनी आंखें बूद कर लीं और सिर झुका लिया रेनुका ने समीर का इस तरह से मासूम चेहरा देखकर समीर से लिपट गयी और बोली- आई लव यू टू समीर मुझे भी तुमसे कब प्यार हो गया पता ही नहीं चला पर कुछ लोगों से तुम्हारे बारे में गलत सुना तो मुझे भी गलतफहमी हो गई थी।

समीर ये सुनकर इतना खुश हो गया मानो दुनिया की सबसे बड़ी खुशी मिल गयी हो फिर दोनों बात करते-करते हाॅस्टल पहुँच गये समीर ने रेनुका को हाॅस्टल छोड़ा और फिर अपने घर चला गया।

दयाल कुशवाह

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