याद बन गई!!
सुबह की ठन्डी हवा मेरे तन में लगी ।
आलस्य हटाती, मेरा मन हर्षित हुआ ।
कनकनी मोती की तरह बिखरने लगी।
चारों तरफ तस्वीर सुन्दर बनने लगी।
अनकहा सा कहीं दिल मचलने लगा।
जब नैनों से नैन कई बार मिलने लगा।
जैसे तस्वीर कोई मेरे अन्दर बैठ गई।
दूर होने की कोशिश में पास आ गई।
अन्दर ही दिल में~~~ जगह दे दिया।
जब मन को छुआ ,दिल में कुछ हुआ।
कुछ कहना चाहा लेकिन कह न सका।
तब याद बन गई, दिल में रह न सका।
@रमेश कुमार सिंह /२०-१०-२०१५