कवितापद्य साहित्य

दुनिया की रीत अपनों की मित

नहीं जानता था कि यहाँ पर इतना सब कुछ होगा।
फर्ज को एहसान बताकर ऐसा हृदय विदारक होगा।
मेरे मन का आस मुझी पर बनकर लौट पड़ेगा।
मेरी ही उम्मीद तुरन्त मुझपर पश्चाताप करेगा।

तेरे कुटिलता के आगे मैं कष्ट भोग रहा हूँ।
तेरे करनी से आज स्वयं को मध्य में लटका पा रहा हूँ।
खली थी कभी नहीं मूझको तेरी सभी चतुराई।
लेकिन जब तुम अन्त किया तो बरदाश्त नहीं हो पाईं।

तिनक सा विवश डुबता उगता बहता सोचता हूँ।
अन्दर छिपे सच्चाई को मैं जान नही पाता हूं।
सारी बातें जान-बूझ-कर भी मैं बोल नहीं पाता।
निष्कर्ष पर जाकर समझ बैठा मैं हारा तुम जीता।

तेरा यहा पर ठौर ठिकाना, तुम कुछ भी कर सकता है।
भले ही इसके लिए तुम-भ्रष्ट- पथ पर चल सकता है।
अपने स्वार्थ को सिद्ध-पूर्ण के नीचता पर आ सकता है।
मिट्टी-पलीद हो जाये भली लेकिन पिछे हट नही सकता।

हाँ तुम भातृ-प्रेम मुझ पर बरसाया था, छल करने को।
मिठी-मिठी बातों में हर्षाया था मुझे हरने को।
तुने तो मुझपर किचड़ छिड़ककर इल्जाम लगा दिया।
मुझको तुम अपने से घृड़ा करने के लायक बना दिया।

मेरा इसमे क्या दोष है ? मै अपना फर्ज निभाया ।
सत्य का पाठ पूर्वजो के आदर्श ने मुझे सिखलाया।
अन्तहिन,त्रुटिहिन ,सत्यहिन,सब साबित हो गया तुम।
फिर भी अपने आप को पहचान नहीं कर पाया तुम।

चार लोगों का संग का मिला अपने को महान समझता।
लोगों को झूठा भरमाकर लम्बी-लम्बी बातें फेकता।
जब आता है मोरचा तो खुद पिछे हट जाता।
अपनों को बचाने के लिए दूसरों को खड़ा कर जाता।

नीच मनुज की बुद्धि, कभी उच नही हो पाती।
संयोग वश हो जाती तो अपना छाव जरूर छोड़ जाती।
जब उसका गुजर- बसर किसी पर नही चल पाता।
तब जाकर नीचता का प्रमाण देकर सबको अझुराता।

यही है यहाँ पर अधिकतर लोगों की रीति।
पेट में रखते खन्जर, बाहर में दिखाते प्रित।
जरूरत सिद्ध करने के लिए बताते चलते अपना मित।
अगर नहीं होती पुरी जरूरत गाते शिकायत की गीत।

रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

जीवन वृत्त-: रमेश कुमार सिंह "रुद्र"  ✏पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।     पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक यादव एवं ईशान सिंह ✏वंश- यदुवंशी ✏जन्मतिथि- फरवरी 1985 ✏मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास-821108) ✏शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड. ✏ साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।      सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी) राष्ट्रीय सचिव - राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन मध्यप्रदेश,      प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं भारत भर के विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त। प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई सासाराम रोहतास ✏समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम बिहार ✏गृहपता- ग्राम-कान्हपुर,पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती,जनपद-कैमूर पिन कोड-821105 ✏राज्य- बिहार ✏मोबाइल - 9572289410 /9955999098 ✏ मेल आई- [email protected]                  [email protected] ✏लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन। ✏प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं  साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित। ✏साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से। ✏ प्राप्त सम्मान विवरण -: भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से  125 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त। ✏ रूचि -- पढाने केसाथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।कविता,कहानी,हिन्दी गद्य लेखन इत्यादि। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आदरणीय मित्र मेरे अन्य वेबसाईट एवं लिंक--- www.rameshpoonam.wordpress.com http://yadgarpal.blogspot.in http://akankshaye.blogspot.in http://gadypadysangam.blogspot.in http://shabdanagari.in/Website/nawaunkur/Index https://jayvijay.co/author/rameshkumarsing ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपका सुझाव ,सलाह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

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