मौन क्यों हूँ ?
मौन हूँ, इसीलिए नहीं
कि मेरे पास शब्द नहीं…
मौन हूँ, क्योंकि जीवन में मेरे
हर शब्द का अर्थ बदल गया है |
वक्त के पहले वक्त ने
करवट बदल लिया है,
वसंत के स्वच्छ आकाश में
काले बादल छा गया है,
भरी दोपहरी में, चमकते सूरज में
ज्यों ग्रहण लग आया है |
मौन हूँ, पर नि:शब्द नहीं
घायल हूँ, पर नि:शस्त्र, पराजित नहीं
दुखी हूँ , पर निराश नहीं |
आशा, विश्वास शस्त्र हैं मेरे
‘काल’ से भी अधिक बलवान,
काटेगा हर अस्त्र ‘काल’ का
मेरे ये अमोघ वाण |
‘काल’ नहीं रह पायगा स्तिर
सदा इस हाल में मेरे दर पर
‘काल’ ही पहनायगा विजय मुकुट
खुश होकर मेरे सर पर |
कालीपद ‘प्रसाद’
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बहुत खूब !
धन्यवाद
बहुत बढ़िया
बहुत बढ़िया