सामाजिक

तलाक

आधुनिकता ने कहीं ना कहीं तलाक को बहुत साधारण सा कर दिया है !इतना साधारण कर दिया है कि हर छोटी बात को भी शायद अब हम बर्दाशत नहीं करना चाहते और जब कोई विकल्प ना मिले तो इसका सहारा या धमकी देकर बहुत कुछ पाया जा सकता है।

तलाक का नाम शायद कहीं सुनने को मिलता था पर अब तो जैसे आम बात हो गई है। तलाक कहीं किसी की ज़िंदगी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए भी काफी होता है। कहीं किसी की ज़िंदगी की खुशियाँ छीन कर ज़िन्दगी बदल भी देता है। यूं तो बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जिनकी वजह से तलाक होता है। कभी घरवालो से ठीक रिशते नहीं बन पाते तो तलाक की नौबत आ जाती है या पति पत्नी में अलगाव या लड़ाई झगड़े भी इसका मुख्य कारण होते हैं। पर हद तो तब हो जाती है जब किसी की गल्ती की सज़ा किसी और को मिलती है।

संजय एक बहुत ही समझदार किस्म का लड़का था अपनी ज़िंदगी में बहुत खुश था। एक आदर्शवादी भाई ,बेटा होने के साथ -साथ एक अच्छा इन्सान भी था। अपनी पढ़ाई के बाद वह शहर से अकसर बाहर ही रहता था और एक अच्छी कंपनी में कार्यरत था। आधुनिक विचारों का होने के वावजूद भी कुछ फैसले वो अपनी ममी पापा पर ही छोड़ता था। कभी किसी बात के लिए अपनी मर्जी या जबरदस्ती मनमानी उसने नहीं की थी। यहां तक कि शादी के लिए लड़की भी उन्हीं को ढूंढनी थी बस संजय ने उस पर मोहर ही लगानी थी कि उसे पसंद है या नहीं। संजय अपने ममी पापा और बहन के साथ अपनी छोटी सी ज़िंदगी में बहुत ही खुश था। संजय के लिए एक दिन एक रिशता आया ममी पापा की पसंद के बाद जरूरी पूछताछ की गई फिर संजय और उस लड़की प्रियंका को भी आपस में मिलाया गया और बातचीत का समय दिया गया। आपस में बातचीत के बाद दोनो ने कोई ऐतराज़ नहीं जताया। लड़की के घरवालो को संजय बहुत पसंद आया और बात पक्की कर दी गई। संजय की बहुत ही धूमधाम से और रस्मो रिवाज़ से शादी कर दी गई।

संजय को अब नौकरी के लिए फिर शहर से बाहर जाना था कुछ दिन ससुराल रहने के बाद संजय प्रियंका को लेकर चला गया। कुछ दिन तो ठीक चलता रहा पर संजय को प्रियंका का रवैया खलता था। वो शादी के दो महीने के बाद भी संजय से अजनबियों सा बर्ताब करती थी। पहले तो संजय ने सोचा कि हमारी शादी में कम समय था शायद इसलिए दिक्कत हो रही है पर उसका बर्ताब संजय के साथ सही नहीं था। जब संजय ने इसका कारण जानना चाहा तो प्रियंका जबाब देने में बहुत असहज हो जाती थी। संजय की चिंता भी बड़ती जा रही थी वो बहुत उदास रहने लगा। फोन पर घरवालों को खुश होने की तसल्ली देकर संजय खुद अंदर परेशान रहता था ना तो प्रियंका किसी बात के लिए कुछ कहती ना कभी परेशान करती बस मोबाईल या टी.वी.में व्यस्त रहती। बस मायके जाने के लिए कहती संजय बार -बार जा नहीं सकता था छोड़ने मायके इसलिए वो ट्रेन पर चढ़ा देता और प्रियंका के भाई को फोन कर देता तो वो लेने आ जाता।

प्रियंका के घरवाले इसकी वजह जानते थे उन्होने उसे बहुत डांटा भी था कि उसकी पसंद के लड़के से उसकी शादी नहीं करा सकते वो उनको बिल्कुल पसंद नहीं था। उनको लगा शायद शादी के बाद प्रियंका उसे भूलकर नई ज़िंदगी की शुरुआत करेगी पर प्रियंका तो बिल्कुल भी नहीं समझी थी। घरवालों ने अपनी ज़िद्द और मर्ज़ी से उसका फैसला तो बदल दिया था पर उसकी सोच और मन को बदलने में कामयाब नहीं हो पाए थे। प्रियंका तलाक के लिए ज़िद्द करने लगी। घरवालो ने गुस्से से प्यार से हर तरह से समझाया पर वो संजय के साथ खुश नहीं थी और ना ही संजय के साथ ज़िंदगी बिताने के लिए अपने आप को समझा पा रही थी। उसका मन अब भी वहीं था जिसे वह पसंद करती थी। संजय भी अब यह बात जान चुका था कि उसके साथ जबरदस्ती शादी कराई गई है प्रियंका तलाक चाहती है और अपनी मर्ज़ी के लड़के के साथ जाना चाहती है।

संजय खुद को बहुत ही असहाय महसूस कर रहा था किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता ना ही बांध के रखा जा सकता है। संजय परेशान हो गया कि अपने घरवालों को कैसे समझाएगा अभी तीन चार महीने पहले ही तो शादी हुई है इतनी धूमधाम और रस्मो रिवाज के साथ। उसकी कंपनी में भी सब जानते थे कि उसकी शादी हो चुकी है वो इतना परेशान हो गया कि अपने मन की बात भी किसी से नहीं कर पा रहा था। वहाँ प्रियंका ने तलाक का दबाब बनाना शुरू कर दिया था। संजय ने हार कर घर में बताया पहले तो घरवाले भी हक्के बक्के रह गए कि प्रियंका को क्या परेशानी है क्या तुम झगड़ते हो? उसके साथ क्या वो खुश नहीं है तुम्हारे साथ ? इतने सवालो के जबाब वो कैसे देता वो अपने बेटे को जानते थे कि वो किसी को दुख नहीं दे सकता। जब प्रियंका की पसंद वाली बात उनको पता चली तो वो भी चुप हो गए कि हमारे साथ क्या हो गया हमारा हँसता खेलता घर खराब हो गया। संजय और उसके घरवालों को तो बिना गल्ती की सज़ा मिली थी।

जब तलाक की बात सब को पता चली तो तरह-तरह की बाते होने लगी। संजय ने सब बातो की परवाह किए बिना प्रियंका के साथ मिलकर तलाक की अर्जी दे दी। संजय मजबूर था पर उसके मन में यह बात चुभ रही थी कि अगर प्रियंका ने अपनी पसंद से शादी करनी थी और शादी के बाद भी फिर से वही ज़िद्द की तो अपनी बात मनवाने के लिए ,वो संजय से शादी के पहले ही कायम रहती या उसके घरवाले ही मान जाते तो संजय इस परेशानी का शिकार नहीं होता। फिर आखिर उनका तलाक हो गया और लड़की वालो ने शादी का पूरा खर्चा भी लिया। ना जाने इस तरह से कितने घर बर्बाद हो जाते हैं। गल्ती किसी की भी हो पर सज़ा बच्चो के साथ बड़ों को भी भुगतनी पड़ती है। पता नहीं इसका ज़िम्मेदार सही माइने में कौन है। कितनी लड़कियां भी बेकुसूर होकर भी इसका भुगतान करती हैं।

और भी बहुत से मुद्दे हैं जिनकी वजह से तलाक होता है कभी बात बहुत छोटी भी होती है बाद में पछताने से कुछ हासिल नहीं होता। तलाक दो लोगों को ही नहीं दो घरों को भी तोड़ देता है। पहले घरवाले शादी पे इतना खर्च करते हैं उस पर तलाक होने पर लड़की वालों का मोटी रकम की मांग करना भी कभी कभी लड़के वालों को बर्बाद कर देता है। कभी तो किसी की बहुत परेशान ज़िन्दगी बचाने के लिए भी ऐसा कदम उठाया जाता है। यहां ज़िंदगी दांव पर लगी हो तो तलाक लेकर अलग हो जाना बेहतर होता है पर फिर भी यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है जिस पर शान्ति से सोच समझ कर आपसी तालमेल से समझ से सुलझाना होगा जिससे कोई ज़िंदगी बिना कारण ही बर्बाद ना हो और सोच के साथ मानसिकता में भी बदलाव जरूरी है।जज्बात ,रिशते और ऐहसास कहीं ना कहीं तो वही हैं जिन्हें संभलकर सहेजने और संवारने की जरूरत है। कानून का सहारा लेना तो ठीक है पर इसका गल्त उपयोग सही नहीं है। काश हर कोई इसके दर्द को समझ कर सोच समझ कर फैसला ले जिससे इस मानसिक पीड़ा से बिना कारण बचा जा सके। ।।

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |