कविता

अतुकान्त कविता

तेज़ी बदलता समाज मान्यता एवम् परम्परा काह्रास/
वैचारिक द्न्द से उभरता सामाजिक असमानता/
क्षेत्रवाद ,भाषावाद , वर्गवाद , जातिवाद की संकीर्णता,
स्वार्थपरक राजनैतिक व्युत्क्रम का उभरता स्वरूप/

संकीर्ण मानसिकता का आरेखित प्रतिबिंब

मानवीय संवेदनात्ंक सोच का नज़रिया/
आर्थिक नीतियों का पूंजीवाद की उन्मूक्तता/
साम्यवादी पूंजीवाद के बीच बढ़ती हुईखाईयाँ/
आदर्शवादी विचारधारा पर प्रायोजनवाद
इक छ्त्र राज भावनात्ंक व्यवस्था का गिरता स्तर/
अपने -पराए की सोच पारिवारिक विखण्डन
संकुचित सोच का वीभत्स नज़रिया /
मानवीय संवेदना का डगमगाता कदम,
प्रकृति के साथ आँख मिचोली करता मानव/
सागर ,पहाड़ , जंगल के क्षेत्राधिकार हनन
अमर्यादित इच्छा की प्रबलता के बीच /
चलती मानवीय सोच का व्युत्क्रम ,
धरातल पर होने वाली उथल-पथल मे/
परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से सहभागी है/

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राजकिशोर मिश्र’ राज’

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि