तेज़ी बदलता समाज मान्यता एवम् परम्परा काह्रास/
वैचारिक द्न्द से उभरता सामाजिक असमानता/
क्षेत्रवाद ,भाषावाद , वर्गवाद , जातिवाद की संकीर्णता,
स्वार्थपरक राजनैतिक व्युत्क्रम का उभरता स्वरूप/
संकीर्ण मानसिकता का आरेखित प्रतिबिंब
मानवीय संवेदनात्ंक सोच का नज़रिया/
आर्थिक नीतियों का पूंजीवाद की उन्मूक्तता/
साम्यवादी पूंजीवाद के बीच बढ़ती हुईखाईयाँ/
आदर्शवादी विचारधारा पर प्रायोजनवाद
इक छ्त्र राज भावनात्ंक व्यवस्था का गिरता स्तर/
अपने -पराए की सोच पारिवारिक विखण्डन
संकुचित सोच का वीभत्स नज़रिया /
मानवीय संवेदना का डगमगाता कदम,
प्रकृति के साथ आँख मिचोली करता मानव/
सागर ,पहाड़ , जंगल के क्षेत्राधिकार हनन
अमर्यादित इच्छा की प्रबलता के बीच /
चलती मानवीय सोच का व्युत्क्रम ,
धरातल पर होने वाली उथल-पथल मे/
परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से सहभागी है/
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राजकिशोर मिश्र’ राज’