गौ माता की विनती
सच बताना मेरे भाई, मुझे मारकर क्या करोगे
आँखे खोल कर देखो तुम, मेरे चमड़े का क्या करोगे
मैं आई इस जगत में तुम्हारा पोषण करने को
अपनी नुमाइश में अरे, मेला लगाकर क्या करोगे
जिस आँचल में छाया पायी, वो हो ममता का तरुवर
मुझे ठुकरा कर तुम भला, निश्चेत होकर क्या करोगे
मायावी जंजीरे मन को, आकर्षित कर पाए नहीं
चला- चली के खेल में मुझे सजाकर क्या करोगे
मैं तो बस माँ हूँ तुम्हारी, तुमको दूध पिलाती हूँ
मेरे चमड़े का सुख लेकर मेरी आह का क्या करोगे
पाओगे केसे प्रभु को, कैसे करोगे अपनी मुक्ति
अपनी माँ की बददुआ से सुख क्या अर्जित करोगे
“सरू” गौ हत्या के पाप को, कैसे मिटाओगे भला
गौमाता के आंसू लेकर, जीवन में तुम क्या करोगे
— स्वाति जैसलमेरिया (सरू)
अति उत्तम, प्रशंसनीय एवं गोभक्ति की प्रेरक कविता। लेखिका बहिन को हार्दिक बधाई एवं धन्यवाद। मेरी दिवंगत पड़ी बहिन भी सरदारपुरा जोधपुर में रहती थी। बहनोई अब सरदारपुरा के निकट बॉम्बे मोटर्स व रेजीडेंसी रोड पर रहते है। एक भांजी है, वह भी आसपास रहती है। आप जोधपुर में रहती हैं, यह जानकार भी अच्छा लगा।