गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : वक़्त की रफ़्तार

वक़्त की रफ़्तार का कुछ भी भरोसा है नहीं
कल तलक था जो सुहाना कल वही विकराल हो

इस तरह से आज पग में फूल से कांटे चुभे हैं
चाँदनी से खौफ लगता ज्यों कालिमा का जाल हो

ये किसी की बदनसीबी गर नहीं तो और क्या है
याद आने पर किसी का हाल जब बदहाल हो

जो पास रहकर दूर हैं और दूर रहकर पास हैं
करते गुजारिश हैं खुदा से, मौत अब तत्काल हो

चंद लम्हों की धरोहर आज अपने पास है बस
ब्यर्थ से लगते ‘मदन’ अब मास हो या साल हो

— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]