मेरा हिंदुस्तान है ये
मौन रहूँ तो सबको शेष-शय्या का विष्णु लगता हूँ
लेकिन कुछ बोलूँ तो बड़ा ही असहिष्णु लगता हूँ
मेरे प्यारे देश को अब किसने श्मशान बना डाला
किसने हिंदुस्तान के अंदर पाकिस्तान बना डाला
खुद ही सोचो किसने घोला पहले ज़हर हवाओं में
कैसे था आतंक मचाया देश की दसों दिशाओं में
चुपके से आतंकी शिविरों की मुलाकातें करते हो
और हमारे मुँह पे मीठी-मीठी बातें करते हो
अपने गिरेबान में झाँको आईना देखके आओ तुम
इंसानी मूल्यों की बातें हमको मत सिखलाओ तुम
कुछ भी बात करें तो तुमको बड़ा बतंगड़ लगता है
मेरा कुछ भी कहना तुमको अंगड़-बंगड़ लगता है
सोए हुए शेरों पर धोखे से था वार पे वार किया
हम कुंठित कहलाए गर थोड़ा सा प्रतिकार किया
कौन है कट्टर कौन नहीं ये सारी दुनिया जानती है
किसने किसको लूटा है अच्छी तरह पहचानती है
ना आग लगाने वालों का ना दंगा करने वालों का
देश होता है देश पे अपनी जान लुटाने वालों का
ताल ठोंक के कहता हूँ तू सुन ले कान खोलके ये
मेरी धरोहर, मेरी बपौती, मेरा हिंदुस्तान है ये
— भरत मल्होत्रा